आज के युग में प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुकी है। वायु और जल का प्रदूषण न केवल पर्यावरण को हानि पहुंचाता है, बल्कि यह मानव स्वास्थ्य के लिए भी बहुत बड़ा खतरा है।

BSEB Class 8th Science Chapter 19 Notes में “वायु एवं जल-प्रदूषण की समस्या” पर विस्तार से चर्चा की गई है। इस लेख में हम इस अध्याय के मुख्य बिंदुओं को सरल और सटीक तरीके से समझेंगे, ताकि छात्र इसे आसानी से समझ सकें और परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन कर सकें।
BSEB Class 8th Science Chapter 19 Notes-वायु एवं जल-प्रदूषण की समस्या
वायु-प्रदूषण:- वायु-प्रदूषण वह स्थिति है जब वायुमंडल में हानिकारक गैसों, धूल, धुएं, और अन्य विषैले पदार्थों की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे जीवधारियों और पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। वायु प्रदूषण के मुख्य स्रोतों में औद्योगिक कारखाने, वाहन, कृषि गतिविधियाँ और घरों में जलने वाले ईंधन शामिल हैं।
वायु-प्रदूषण के प्रमुख स्रोत
- वाहन: गाड़ियों से निकलने वाला धुआं, जिसमें कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), नाइट्रोजन ऑक्साइड्स (NOx), और अन्य हानिकारक गैसें होती हैं, वायु-प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है।
- औद्योगिक उत्सर्जन: फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं और रसायन वायु में मिलकर प्रदूषण फैलाते हैं। इसमें सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) और पार्टिकुलेट मैटर (PM) मुख्य रूप से शामिल होते हैं।
- घरेलू जलन: घरों में लकड़ी, कोयला, और अन्य ईंधनों के जलने से उत्पन्न धुआं भी वायु-प्रदूषण का कारण बनता है।
- कृषि गतिविधियाँ: खेती में उपयोग होने वाले रसायन, कीटनाशक, और उर्वरक भी वायु-प्रदूषण में योगदान करते हैं।
वायु-प्रदूषण के प्रभाव:- स्वास्थ्य पर प्रभाव: वायु-प्रदूषण से श्वसन तंत्र पर बुरा असर पड़ता है। यह अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, और अन्य फेफड़ों की बीमारियों का कारण बनता है। इसके अलावा, हृदय रोग और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है।
- पर्यावरण पर प्रभाव: वायु-प्रदूषण से अम्लीय वर्षा (Acid Rain) होती है, जो फसलों, पेड़-पौधों, और जल स्रोतों को नुकसान पहुंचाती है। इसके अलावा, वायु-प्रदूषण से ओजोन परत का क्षरण भी होता है, जो पृथ्वी को सूर्य की हानिकारक किरणों से बचाती है।
- जलवायु परिवर्तन: वायु-प्रदूषण से ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा बढ़ती है, जिससे ग्लोबल वार्मिंग होती है और जलवायु परिवर्तन का खतरा बढ़ता है।
जल-प्रदूषण:- जल-प्रदूषण वह स्थिति है जब जल स्रोतों में हानिकारक पदार्थों की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे जल की गुणवत्ता खराब हो जाती है और यह जीवधारियों के लिए हानिकारक हो जाता है। जल-प्रदूषण के मुख्य स्रोतों में औद्योगिक कचरा, कृषि से बहने वाले रसायन, और घरेलू अपशिष्ट शामिल हैं।
जल-प्रदूषण के प्रमुख स्रोत:- औद्योगिक कचरा: कारखानों से निकलने वाले रसायन, भारी धातुएं, और अन्य विषैले पदार्थ जल स्रोतों में मिलकर उन्हें प्रदूषित करते हैं।
- कृषि अपशिष्ट: खेती में उपयोग होने वाले कीटनाशक और उर्वरक बारिश के साथ बहकर नदियों, झीलों, और तालाबों में पहुंच जाते हैं, जिससे जल-प्रदूषण होता है।
- घरेलू अपशिष्ट: घरों से निकलने वाले गंदे पानी, साबुन, डिटर्जेंट, और अन्य रासायनिक पदार्थ जल स्रोतों में मिलकर उन्हें प्रदूषित करते हैं।
- प्लास्टिक कचरा: प्लास्टिक की वस्तुएं, जैसे कि बोतलें, थैलियां आदि, जल स्रोतों में मिलकर वहां के जीवन को नष्ट करती हैं और जल की गुणवत्ता को खराब करती हैं।
जल-प्रदूषण के प्रभाव
- स्वास्थ्य पर प्रभाव: प्रदूषित जल पीने से डायरिया, हैजा, टायफाइड जैसी जलजनित बीमारियाँ होती हैं। इसके अलावा, जल में उपस्थित रसायन और भारी धातुएं कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं।
- जलीय जीवन पर प्रभाव: जल-प्रदूषण से जलीय जीवन, जैसे मछलियाँ, कछुए, और अन्य जलीय जीव, प्रभावित होते हैं। कई बार इन जीवों की मृत्यु भी हो जाती है, जिससे जलीय पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
- पर्यावरण पर प्रभाव: जल-प्रदूषण से जल स्रोतों का संतुलन बिगड़ जाता है। नदियों, झीलों, और तालाबों में प्रदूषण से वहां की प्राकृतिक सुंदरता नष्ट हो जाती है और पर्यटन पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
वायु एवं जल-प्रदूषण के समाधान:- स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग: सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, और हाइड्रोपावर जैसी स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग करके वायु-प्रदूषण को कम किया जा सकता है।
- प्रदूषण नियंत्रण उपकरण: औद्योगिक इकाइयों में प्रदूषण नियंत्रण उपकरणों का उपयोग करके वायु और जल-प्रदूषण को रोका जा सकता है।
- कचरे का उचित निपटान: औद्योगिक और घरेलू कचरे का उचित निपटान सुनिश्चित किया जाना चाहिए ताकि यह जल स्रोतों को प्रदूषित न करें।
- पुनर्चक्रण: प्लास्टिक और अन्य कचरे का पुनर्चक्रण (Recycling) करके प्रदूषण को कम किया जा सकता है।
- वृक्षारोपण: अधिक से अधिक वृक्षारोपण करके वायु-प्रदूषण को कम किया जा सकता है। पेड़ न केवल वायु को शुद्ध करते हैं, बल्कि जल स्रोतों को भी संरक्षित रखते हैं।
- सार्वजनिक जागरूकता: लोगों को वायु और जल-प्रदूषण के खतरों और उनसे बचने के उपायों के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए।
निष्कर्ष
वायु और जल-प्रदूषण की समस्या आज के समय की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। इसे रोकने के लिए हमें मिलकर प्रयास करने की आवश्यकता है। सरकार, उद्योग, और आम जनता को मिलकर इस समस्या का समाधान करना होगा। कक्षा 8 के छात्रों को इस अध्याय के माध्यम से प्रदूषण के बारे में जागरूक किया जाता है ताकि वे अपने स्तर पर पर्यावरण की सुरक्षा में योगदान दे सकें।
इस लेख में दिए गए जानकारी को ध्यानपूर्वक पढ़ें और इसे अपनी नोट्स में शामिल करें ताकि आप परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकें। आशा है कि यह लेख आपके लिए उपयोगी सिद्ध होगा।